उज्जैन।
मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के झलारिया पीर गांव में एक खाप पंचायत जैसे फैसले ने पूरे प्रदेश में सनसनी फैला दी है। यहां एक धार्मिक स्थल से जुड़े पुजारी और उनके परिवार का सार्वजनिक रूप से सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया। इतना ही नहीं, उनके बच्चों की पढ़ाई, रोज़गार, श्रम से लेकर बाल कटवाने जैसी बुनियादी जरूरतों पर भी रोक लगा दी गई। गांव की इस ‘सामाजिक सज़ा’ का पालन न करने वालों पर ₹51,000 का जुर्माना लगाने की चेतावनी दी गई है।
मामले की गंभीरता इस बात से समझी जा सकती है कि ग्रामीणों की एक बड़ी भीड़ के बीच माइक पर पंचायत सचिव द्वारा बहिष्कार का फरमान पढ़ा गया और हाथ उठवाकर समर्थन लिया गया। इस वीडियो के सामने आने के बाद प्रशासन भी हरकत में आ गया है।
मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के झलारिया पीर गांव में एक खाप पंचायत जैसे फैसले ने पूरे प्रदेश में सनसनी फैला दी है। यहां एक धार्मिक स्थल से जुड़े पुजारी और उनके परिवार का सार्वजनिक रूप से सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया। इतना ही नहीं, उनके बच्चों की पढ़ाई, रोज़गार, श्रम से लेकर बाल कटवाने जैसी बुनियादी जरूरतों पर भी रोक लगा दी गई। गांव की इस ‘सामाजिक सज़ा’ का पालन न करने वालों पर ₹51,000 का जुर्माना लगाने की चेतावनी दी गई है।
मामले की गंभीरता इस बात से समझी जा सकती है कि ग्रामीणों की एक बड़ी भीड़ के बीच माइक पर पंचायत सचिव द्वारा बहिष्कार का फरमान पढ़ा गया और हाथ उठवाकर समर्थन लिया गया। इस वीडियो के सामने आने के बाद प्रशासन भी हरकत में आ गया है।
क्या है पूरा मामला?
करीब 4 हजार की आबादी वाले झलारिया पीर गांव के देव धर्मराज मंदिर की देखरेख वर्षों से पुजारी पूनमचंद चौधरी का परिवार करता आ रहा है। मंदिर से सटी करीब 4 बीघा जमीन पर वह खेती भी करते हैं, जिससे उनका परिवार गुजर-बसर करता है।
पुजारी परिवार का आरोप है कि कुछ ग्रामीण मंदिर की इस जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं। उन्होंने मंदिर के जीर्णोद्धार के नाम पर ग्रामीणों से करीब 6 लाख रुपये चंदा भी इकट्ठा कर लिया, लेकिन अब उसी पैसे से मंदिर को दूसरी जगह स्थानांतरित करने की योजना बनाई जा रही है। जब पुजारी ने इसका विरोध किया तो यह विवाद सार्वजनिक हो गया।
14 जुलाई को सुनाया गया बहिष्कार का फरमान
पुजारी परिवार के विरोध के बाद गांव के कुछ प्रभावशाली लोगों ने 14 जुलाई को ग्राम पंचायत परिसर में बैठक बुलाई और उसमें माइक से ऐलान किया गया कि पुजारी और उनके पूरे परिवार का सामाजिक बहिष्कार किया जाता है। इस दौरान पंचायत सचिव गोकुल सिंह देवड़ा ने पूरे निर्णय को सार्वजनिक रूप से पढ़ा और ग्रामीणों से हाथ उठवाकर समर्थन लिया।
यह भी ऐलान किया गया कि यदि कोई व्यक्ति इस बहिष्कार का उल्लंघन करेगा तो उस पर ₹51,000 का जुर्माना लगाया जाएगा। वीडियो में पंचायत यह भी कहती नजर आई कि बच्चों को स्कूल से बाहर करने का सुझाव कुछ लोगों ने दिया था, इसलिए उसे भी निर्णय में शामिल किया गया।
बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया
पुजारी के बेटे मुकेश चौधरी ने बताया कि पंचायत के निर्णय के अगले ही दिन उनके तीनों बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया। संध्या (8वीं), सतीश (5वीं) और विराट (3वीं) गांव के ही एक निजी स्कूल में पढ़ते थे। स्कूल प्रशासन ने भी स्पष्ट कहा कि पंचायत की घोषणा के बाद वे अब इन बच्चों को नहीं पढ़ा सकते।
प्रशासन के पास शिकायत, जांच के आदेश
पुजारी पूनमचंद चौधरी ने पूरे मामले को लेकर उज्जैन कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने बताया कि न केवल उनके बच्चों की पढ़ाई रोकी गई है बल्कि मजदूर भी उनके खेतों में काम करने नहीं आ रहे हैं और बाजार में भी उन्हें बहिष्कृत किया जा रहा है। इस पर कलेक्टर ने मामले की जांच के निर्देश दिए हैं।
पंचायत का पक्ष और कोर्ट की स्थिति
पंचायत सचिव गोकुल सिंह देवड़ा का कहना है कि यह मंदिर सार्वजनिक है और गांववालों ने स्वयं चंदा इकट्ठा कर जीर्णोद्धार की योजना बनाई थी। कई बार समझाइश देने के बाद भी पुजारी नहीं माने और कोर्ट चले गए। 14 जुलाई को पंचायत में बुलाया गया था, लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए, जिसके बाद सर्व समाज ने यह निर्णय लिया।
देवड़ा ने यह भी कहा कि मंदिर की जमीन का मामला कोर्ट में विचाराधीन है और अंतिम निर्णय कोर्ट से ही लिया जाएगा।
