रक्षाबंधन का पर्व इस वर्ष शनिवार, 9 अगस्त 2025 को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस बार रक्षाबंधन कई दुर्लभ ज्योतिषीय योगों के संयोग में मनाया जाएगा, जिससे यह और भी विशेष हो गया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस दिन पूरे दिन भद्रा काल का कोई प्रभाव नहीं रहेगा, जिससे बहनें दिनभर अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा-सूत्र बाँध सकेंगी।
विशेष ज्योतिषीय संयोग
रक्षाबंधन पर इस बार श्रवण नक्षत्र, सौभाग्य योग, बव करण और पूर्णिमा तिथि का संयोग बन रहा है। इसके अलावा चंद्रमा मकर राशि में स्थित रहेगा, जो इस दिन की महत्ता को और बढ़ाता है।
ज्योतिषविदों के अनुसार, यह योग परिवार में सौहार्द और समृद्धि लाने वाला है।
1728 के बाद पहली बार ग्रहों की विशेष स्थिति
ज्योतिष गणनाओं के अनुसार, 1728 के बाद पहली बार 2025 में आठ ग्रहों की विशेष स्थिति एक साथ देखने को मिलेगी:
सूर्य – कर्क राशि में
चंद्रमा – मकर राशि में
मंगल – कन्या राशि में
बुध – कर्क राशि में
गुरु और शुक्र – मिथुन राशि में
राहु – कुंभ राशि में
केतु – सिंह राशि में
यह संयोजन धार्मिक और पारिवारिक दृष्टिकोण से अत्यंत शुभ और कल्याणकारी माना जा रहा है।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस दिन विभिन्न समय पर केंद्र और त्रिकोण योग बनेंगे, जो रक्षाबंधन के अवसर को और अधिक पवित्र बनाएंगे।
सर्वार्थ सिद्धि योग: प्रातः से दोपहर 2:40 बजे तक रहेगा।
सायंकाल में भी शुभ योग में राखी बांधना उत्तम रहेगा।
इन शुभ योगों में राखी बांधने से भाई-बहन के रिश्ते में सकारात्मक ऊर्जा और जीवनभर सुरक्षा का भाव जुड़ता है।
भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक पर्व
रक्षाबंधन सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि भाई-बहन के अटूट रिश्ते की डोर है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सफलता की कामना करती हैं, वहीं भाई बहनों की रक्षा और सम्मान का वचन देते हैं।

