मंदसौर गैंगरेप केस: दोषियों की फांसी बदलने के विरोध में शहर बंद, मौन रैली निकालकर मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन - Bindass Boliyan

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मंदसौर गैंगरेप केस: दोषियों की फांसी बदलने के विरोध में शहर बंद, मौन रैली निकालकर मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

मंदसौर गैंगरेप केस: दोषियों की फांसी बदलने के विरोध में शहर बंद, मौन रैली निकालकर मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

 मंदसौर, 5 जुलाई 2025 –


2018 में 7 वर्षीय मासूम बच्ची के साथ हुए जघन्य गैंगरेप केस में दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदले जाने के विरोध में शुक्रवार को पूरा मंदसौर शहर बंद रहा। यह बंद सर्व समाज के आह्वान पर रखा गया, जिसे आम नागरिकों, व्यापारियों और सामाजिक संगठनों ने व्यापक समर्थन दिया। दोपहर 3 बजे से शहर के घंटाघर से एक मौन रैली की शुरुआत हुई, जो मुख्य मार्गों से होती हुई पुलिस कंट्रोल रूम पहुंची। वहाँ मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें दोषियों को पुनः फांसी की सजा दिलाने की मांग की गई।

जन आक्रोश में बदला न्यायिक असंतोष
गौरतलब है कि 26 जून 2018 को मंदसौर में 7 वर्षीय बालिका के साथ दो दरिंदों — इरफान और आसिफ — ने सामूहिक दुष्कर्म किया था। यह मामला न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश में आक्रोश का कारण बना था। उस समय की विशेष अदालत ने दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे बाद में हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा। परंतु सुप्रीम कोर्ट ने कुछ तकनीकी बिंदुओं के आधार पर मामले को पुनः ट्रायल कोर्ट में भेज दिया।
30 जून 2025 को ट्रायल कोर्ट ने फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। इस फैसले के विरोध में जनता का गुस्सा फूट पड़ा और न्याय में हुई इस नरमी को लेकर व्यापक जनविरोध दर्ज हुआ।

शहर बंद, दुकानें बंद, सड़कों पर सन्नाटा
शुक्रवार को शहर में अधिकांश व्यापारिक प्रतिष्ठान, दुकानें और बाजार बंद रहे। सुबह से ही शहर के विभिन्न इलाकों में सन्नाटा पसरा रहा। कोई भी जबरदस्ती बंद नहीं कराया गया, बल्कि आम लोगों ने स्वेच्छा से इस बंद का समर्थन किया। बंद के दौरान किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना सामने नहीं आई, लेकिन पुलिस बल हर जगह तैनात रहा।

1500 से अधिक लोग शामिल हुए मौन रैली में
शहर के घंटाघर से लेकर कंट्रोल रूम तक निकाली गई मौन रैली में करीब 1500 से अधिक नागरिकों ने हिस्सा लिया। इसमें महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग और युवक बड़ी संख्या में शामिल हुए। रैली ने शहर के नेहरू बस स्टैंड, गांधी चौराहा और बीपीएल चौराहा जैसे मुख्य मार्गों से गुजरते हुए विरोध का शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। सभी प्रतिभागियों ने हाथों में तख्तियाँ लेकर दोषियों को दोबारा फांसी देने की मांग दोहराई।

मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन, पुनर्विचार याचिका की मांग
पुलिस कंट्रोल रूम पहुँचकर रैली में शामिल नागरिकों ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नाम एक ज्ञापन एसडीएम शिवलाल शाक्य को सौंपा। ज्ञापन में स्पष्ट मांग की गई कि राज्य सरकार हाईकोर्ट में पुनः याचिका दाखिल करे और सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर दोषियों को फिर से फांसी की सजा दिलवाने का प्रयास करे।
ज्ञापन में यह भी कहा गया कि इतने गंभीर अपराध में दया या तकनीकी आधार पर नरमी जनभावनाओं के खिलाफ है। फांसी की सजा ही पीड़ित और समाज के लिए न्याय होगी।

“फांसी ही एकमात्र न्याय”: सर्व हिंदू समाज
सर्व हिंदू समाज के संयोजक विनय दुबेला ने कहा कि यह फैसला जनता की भावनाओं के विपरीत है। उन्होंने बताया कि पहले सेशन कोर्ट और फिर हाईकोर्ट ने भी फांसी की सजा दी थी, लेकिन ट्रायल कोर्ट द्वारा इसे उम्रकैद में बदलना पीड़ित परिवार और पूरे समाज के लिए अत्यंत पीड़ादायक है।
दुबेला ने मांग की कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता के माध्यम से मजबूत पैरवी कर पुनः फांसी की सजा सुनिश्चित करे।

प्रशासन की प्रतिक्रिया: ज्ञापन को पहुंचाया जाएगा उचित मंच तक

एसडीएम शिवलाल शाक्य ने कहा कि यह एक गंभीर प्रकरण है और समाज की भावनाएं पूरी तरह से समझी जा रही हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि मुख्यमंत्री के नाम दिया गया ज्ञापन उचित मंच तक पहुँचाया जाएगा और आगे की कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जाएगी।

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