मुंबई।
साल 2008। पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था एक भयंकर मंदी से गुजर रही थी। अमेरिका में इन्वेस्टमेंट बैंक लेहमन ब्रदर्स धराशायी हो चुका था। जनरल मोटर्स जैसी दिग्गज ऑटोमोबाइल कंपनियों का दिवाला निकल चुका था। और उस वक्त, एक युवा उद्यमी एलन मस्क अपनी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला को किसी तरह जिंदा रखने की जद्दोजहद में जुटे थे।
किसी को उम्मीद नहीं थी कि जो कंपनी उस समय कर्मचारियों की सैलरी तक नहीं दे पा रही थी, वह एक दिन दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी बनेगी। लेकिन एलन मस्क की सोच, जुनून और रिस्क लेने की क्षमता ने वो कर दिखाया, जिसे नामुमकिन कहा जा रहा था।
अब 17 साल बाद, 15 जुलाई 2025 को टेस्ला भारत में अपने पहले शोरूम की शुरुआत करने जा रही है — मुंबई से।
कंगाली के दौर में मस्क का संघर्ष
2008 का साल टेस्ला के लिए सबसे बुरे वर्षों में से एक था। मस्क की निजी जिंदगी और प्रोफेशनल करियर दोनों ही मोर्चों पर संकट गहरा चुका था। टेस्ला की पहली इलेक्ट्रिक कार रोडस्टर का प्रोडक्शन शुरू हो चुका था, लेकिन फंडिंग पूरी तरह से खत्म हो गई थी। कारों की बुकिंग से जो एडवांस अमाउंट मिला था, उसे भी खर्च किया जा चुका था।
कर्मचारियों को वेतन देने तक के पैसे नहीं थे। एलन मस्क ने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से उधार लेकर कंपनी को चलाने की कोशिश की। उन्होंने अपनी दूसरी कंपनी स्पेसएक्स से भी फंड्स निकालकर टेस्ला में लगाए।
उनकी गर्लफ्रेंड रहीं तालुलाह रिले ने बाद में एक इंटरव्यू में कहा –
"वह खुद से बातें करते थे, अपने हाथों को हवा में लहराकर जोर-जोर से चिल्लाते थे। कई बार नींद में चीखते और हाथ पटकते थे। मुझे लगता था कि उन्हें कभी भी दिल का दौरा पड़ सकता है।"
इस मानसिक और आर्थिक दबाव के बीच मस्क ने एक इंटरव्यू में रोते हुए कहा था, "या तो मैं टेस्ला को बचा लूंगा, या मेरी कब्र टेस्ला के साथ बनेगी।"
बचाव की आखिरी उम्मीद बनी क्रिसमस की रात
क्रिसमस से कुछ दिन पहले, टेस्ला के पास बस कुछ ही दिन की नकदी बची थी। अगर कोई निवेशक नहीं मिलता, तो कंपनी को बंद करना तय था। क्रिसमस की रात, आखिरी समय पर निवेशक Daimler और अन्य निवेशकों से 40 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिली। यह सौदा अंतिम क्षणों में हुआ और टेस्ला को एक और सांस मिल गई।
यहीं से कंपनी ने धीरे-धीरे रिकवरी शुरू की।
टेस्ला की कामयाबी की कहानी
- 2012: टेस्ला ने Model S लॉन्च की, जो दुनिया की पहली लंबी दूरी तय करने वाली लग्जरी इलेक्ट्रिक सेडान बनी।
- 2017: टेस्ला ने Model 3 पेश की, जो मिडिल क्लास ग्राहकों के लिए थी और EV सेक्टर में गेमचेंजर साबित हुई।
- 2020: टेस्ला की मार्केट वैल्यू 500 बिलियन डॉलर पार कर गई। यह दुनिया की सबसे वैल्यूएबल कार कंपनी बन गई।
- 2021-2024: टेस्ला ने साइबर ट्रक, Semi ट्रक और ऑटोनॉमस ड्राइविंग तकनीक में अग्रणी भूमिका निभाई।
वर्तमान में टेस्ला के पास 500 बिलियन डॉलर से ज्यादा की मार्केट कैप है और यह अमेरिका, चीन, जर्मनी और अब भारत सहित कई देशों में अपने शोरूम और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स शुरू कर चुकी है।
अब भारत की बारी – मुंबई से शुरुआत
15 जुलाई 2025 को टेस्ला भारत में अपना पहला शोरूम मुंबई में खोलने जा रही है।
यह शो-रूम भारत में EV इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है। टेस्ला के भारत में प्रवेश को लेकर कई सालों से चर्चा चल रही थी, लेकिन अब जाकर यह वास्तविकता बन पाई है।
भारत में टेस्ला की रणनीति:
- शुरुआती तौर पर Model 3 और Model Y लॉन्च की जाएगी।
- शोरूम के साथ-साथ चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी तेजी से काम शुरू किया जाएगा।
- भविष्य में स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने की योजना भी है।
- टेस्ला की EV नीति भारत सरकार की "ग्रीन मोबिलिटी" पहल के साथ मेल खाती है।
मस्क का भारत को लेकर नजरिया
एलन मस्क भारत को एक उभरता हुआ बड़ा बाजार मानते हैं। उन्होंने पहले भी कहा है कि “भारत में टेस्ला की अपार संभावनाएं हैं, खासकर तेजी से बढ़ रहे EV बाजार को देखते हुए।” भारत में EV की मांग बढ़ रही है और सरकार भी EV पर सब्सिडी और इंसेंटिव दे रही है, जो टेस्ला के लिए फायदेमंद है।
मंदी से मिलियन और फिर बिलियन तक
एलन मस्क की कहानी सिर्फ एक उद्यमी की नहीं, बल्कि आशा, जुनून और जोखिम उठाने की ताकत की मिसाल है। जब पूरी दुनिया आर्थिक मंदी में डूब रही थी, उस समय एक शख्स हर तरफ से टूटकर भी अपनी कंपनी के सपने को जिंदा रखे हुए था।
आज टेस्ला न सिर्फ EV की पहचान बन चुकी है, बल्कि टिकाऊ तकनीक, ऑटोमेशन और क्लीन एनर्जी की दिशा में एक वैश्विक आंदोलन का नेतृत्व कर रही है।