गुलमर्ग में ड्यूटी के दौरान चूरू के जवान की शहादत, बुधवार को होगा अंतिम संस्कार - Bindass Boliyan

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गुलमर्ग में ड्यूटी के दौरान चूरू के जवान की शहादत, बुधवार को होगा अंतिम संस्कार

गुलमर्ग में ड्यूटी के दौरान चूरू के जवान की शहादत, बुधवार को होगा अंतिम संस्कार

राजस्थान के चूरू जिले के लूणासर गांव का हर शख्स आज गमगीन है। पूरा गांव शोक में डूबा हुआ है, हर घर में सन्नाटा पसरा है और आंखें नम हैं। गांव का वीर सपूत, भारतीय सेना का जवान भंवरलाल सारण जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग में ड्यूटी के दौरान 8 जून की रात शहीद हो गया। 37 वर्षीय भंवरलाल ने अपनी जान देश की रक्षा करते हुए कुर्बान कर दी। शहादत से पहले जब वह छुट्टी खत्म कर ड्यूटी पर लौट रहे थे, तो उन्होंने अपनी चार साल की बेटी रितिका से कहा—"बेटी, खूब पढ़ाई करना... तुझे आर्मी में बड़ा अफसर बनना है..."। किसी को नहीं पता था कि यह उनकी बेटी से आखिरी मुलाकात होगी।

अंतिम विदाई की तैयारियाँ

शहीद जवान का पार्थिव शरीर सोमवार को श्रीनगर में रखा गया, जहाँ सेना के अधिकारियों और जवानों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। मंगलवार सुबह 10:30 बजे पार्थिव शरीर को दिल्ली लाया गया, जहां से सड़क मार्ग द्वारा सरदारशहर के लिए रवाना किया गया। रास्ते में राजगढ़, तारानगर, भालेरी और राजस्थान बॉर्डर पर आमजन और स्थानीय प्रशासन की ओर से श्रद्धांजलि दी जाएगी।

मंगलवार रात करीब 10 बजे शहीद की पार्थिव देह सरदारशहर पहुंचेगी। इसके बाद बुधवार सुबह 8 बजे तिरंगा स्टेडियम से एक ‘तिरंगा यात्रा’ निकाली जाएगी, जो शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए लूणासर गांव पहुंचेगी। वहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।

परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

शहादत की सूचना मिलते ही घर में कोहराम मच गया। पिता उमाराम और मां सदमे में हैं। उनकी आंखों में आंसुओं का सैलाब है, लेकिन गर्व भी है कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हुआ। पत्नी तारामणी, जो 2014 में इस घर की बहू बनी थीं, बिल्कुल गुमसुम हैं। वे न कुछ बोल पा रही हैं, न ही अपने आंसुओं को रोक पा रही हैं।

सबसे ज्यादा मासूम है चार साल की बेटी रितिका, जो अभी ये भी नहीं समझ पा रही कि पापा अब कभी लौटकर नहीं आएंगे। बार-बार दरवाजे की ओर देखती है, मानो अभी पापा आएंगे और उसे गोद में उठाएंगे।

अनुशासनप्रिय और कर्तव्यनिष्ठ थे भंवरलाल

गांव के सरपंच भंवरलाल पांडर ने बताया कि भंवरलाल सारण का स्वभाव बेहद अनुशासनप्रिय, सहयोगी और विनम्र था। वे 2015 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे और तब से देश सेवा में लगे थे। गांव के हर सामाजिक कार्य में वे सक्रिय रूप से भाग लेते थे। भले ही फौज में थे, लेकिन अपने गांव और परिवार से हमेशा जुड़े रहे। वर्तमान में उनकी तैनाती गुलमर्ग सेक्टर में थी।

छोटे भाई ने भी लिया सेना में जाने का संकल्प

शहीद भंवरलाल सारण के छोटे भाई मुकेश सारण भी सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे हैं। अब बड़े भाई की शहादत ने उनके इरादों को और मजबूत कर दिया है। मुकेश कहते हैं—"भाई ने जिस मिट्टी के लिए बलिदान दिया, मैं भी उसी राह पर चलूंगा। देशसेवा ही मेरा लक्ष्य है।"

गांव में पसरा मातम लेकिन गर्व भी

लूणासर गांव की गलियों में शोक का माहौल है। हर शख्स भंवरलाल को याद कर रहा है—कोई उनके बचपन की बात कर रहा है, तो कोई उनकी बहादुरी की। विद्यालयों में छुट्टी घोषित की गई है और हर गली में तिरंगे लहराए जा रहे हैं। युवाओं के बीच देशभक्ति की भावना और मजबूत हुई है। कई युवाओं ने अब सेना में भर्ती होने का संकल्प लिया है।

सरकार और प्रशासन ने जताया सम्मान

शहीद को राजकीय सम्मान देने की तैयारी प्रशासन द्वारा की गई है। जिले के अधिकारी, पुलिस प्रशासन और सेना के उच्चाधिकारी अंतिम संस्कार में शामिल होंगे। राजस्थान सरकार की ओर से शहीद के परिवार को आर्थिक सहायता और सरकारी नौकरी देने की प्रक्रिया भी प्रारंभ की जा रही है।

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