लॉस एंजिल्स में हिंसक प्रदर्शन: अवैध प्रवासियों की गिरफ्तारी पर भड़के लोग, सड़कों पर आगजनी और झंडे जलाए - Bindass Boliyan

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लॉस एंजिल्स में हिंसक प्रदर्शन: अवैध प्रवासियों की गिरफ्तारी पर भड़के लोग, सड़कों पर आगजनी और झंडे जलाए

लॉस एंजिल्स में हिंसक प्रदर्शन: अवैध प्रवासियों की गिरफ्तारी पर भड़के लोग, सड़कों पर आगजनी और झंडे जलाए
लॉस एंजिल्स, अमेरिका:

अमेरिका के लॉस एंजिल्स में अवैध प्रवासियों के खिलाफ की गई छापेमारी और गिरफ्तारी के विरोध में चल रहा प्रदर्शन अब हिंसक हो गया है। बीते तीन दिनों से चल रहे इस विरोध ने रविवार को उग्र रूप ले लिया। प्रदर्शनकारियों ने शहर की सड़कों पर आगजनी की, सैकड़ों गाड़ियों को फूंक दिया और कई सरकारी इमारतों में तोड़फोड़ की।
प्रदर्शन में शामिल लोगों ने अमेरिकी झंडे पर थूका, उसे जलाया और मेक्सिको के झंडे लहराए। हालात को काबू में लाने के लिए अमेरिकी नेशनल गार्ड्स की मदद ली गई, जिन्होंने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले और रबर बुलेट्स का इस्तेमाल किया। अब तक 100 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है।

कैसे शुरू हुआ विवाद?

लॉस एंजिल्स में 6 और 7 जून को अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग और ICE (इमिग्रेशन एंड कस्टम्स इन्फोर्समेंट) द्वारा एक विशेष अभियान चलाया गया था। इस अभियान का मकसद था—बिना वैध दस्तावेजों के रह रहे अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार करना और डिपोर्ट करना।
यह छापेमारी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की डिपोर्टेशन पॉलिसी का हिस्सा है, जिसमें हर दिन हजारों प्रवासियों को देश से बाहर निकाले जाने का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन यह कार्रवाई प्रवासी समुदायों और मानवाधिकार संगठनों के बीच नाराजगी का कारण बन गई।

प्रदर्शनकारियों की नाराजगी और मेक्सिकन झंडा लहराना

प्रदर्शन के दौरान कई लोगों ने मेक्सिको का झंडा लहराया और अमेरिका की प्रवासी नीति का विरोध करते हुए “ICE लॉस एंजिल्स से बाहर जाओ” और “नो ह्यूमन इज इल्लीगल” जैसे नारे लगाए। भीड़ में मौजूद कई लोग "शेम", "गो होम" और "जस्टिस फॉर माइग्रेंट्स" जैसे नारों के साथ पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते दिखे।
कुछ प्रदर्शनकारियों ने तो अमेरिकी झंडे पर थूकते हुए उसे सरेआम जलाया। इसके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए जिससे माहौल और ज्यादा तनावपूर्ण हो गया।

हिंसा की शुरुआत कहां से हुई?

प्रदर्शन की शुरुआत लॉस एंजिल्स के मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर के बाहर हुई, जहां ICE द्वारा पकड़े गए प्रवासियों को रखा गया था। शनिवार रात और रविवार सुबह यह प्रदर्शन उग्र हो गया। प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाज़ी की, पुलिस पर पटाखे और पेट्रोल बम फेंके।
कुछ ने फेडरल इमारतों को घेर लिया, कई दुकानों में लूटपाट की और एक स्ट्रिप मॉल में आग लगा दी। इसके अलावा दर्जनों सरकारी वाहनों को भी जला दिया गया। प्रदर्शनकारियों ने सरकारी दीवारों पर स्प्रे पेंट से विरोधी नारे भी लिखे।

नेशनल गार्ड्स की तैनाती और ट्रम्प की सख्त प्रतिक्रिया

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने लॉस एंजिल्स की स्थिति को “अराजक” बताया और कहा, “शहर पर अवैध प्रवासियों का कब्जा हो चुका है, हम इसे जल्द ही आजाद कराएंगे।” इसके बाद उन्होंने 2000 नेशनल गार्ड्स को लॉस एंजिल्स भेजने का आदेश दिया।
हालांकि, यह फैसला विवादित हो गया क्योंकि गवर्नर गैविन न्यूसम और लॉस एंजिल्स की मेयर कैरेन बैस ने नेशनल गार्ड्स की तैनाती का विरोध किया। यह पहली बार है जब किसी राज्य की सहमति के बिना फेडरल स्तर पर नेशनल गार्ड्स तैनात किए गए हैं।

कौन हैं ये प्रदर्शनकारी?

प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे लोगों में अवैध प्रवासियों के परिवारजन, प्रवासी अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन, स्थानीय निवासी और छात्र शामिल हैं।
इनमें प्रमुख संगठन Coalition for Humane Immigrant Rights (CHIRLA) और National Day Laborer Organizing Network (NDLON) हैं जो लंबे समय से अप्रवासियों के अधिकारों के लिए काम कर रहे हैं।
ये संगठन प्रशासन पर आरोप लगा रहे हैं कि वह मानवीय संवेदनाओं को नजरअंदाज कर के पूरे प्रवासी समुदाय को अपराधी की नजर से देख रहा है।

3000 प्रवासियों को रोज़ डिपोर्ट करने का लक्ष्य

ICE को ट्रम्प प्रशासन की ओर से स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि हर दिन 3000 तक अवैध प्रवासियों को गिरफ्तार और देश से बाहर निकाला जाए। इस योजना के तहत लॉस एंजिल्स, न्यू यॉर्क, मियामी, शिकागो और ह्यूस्टन जैसे बड़े शहरों में छापेमारी तेज़ कर दी गई है।
होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट के मुताबिक, हर दिन औसतन 1600 से अधिक प्रवासी पकड़े जा रहे हैं, जिनमें से अधिकतर आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोग हैं जो वर्षों से अमेरिका में रह रहे थे।

सामाजिक और राजनीतिक असर

यह प्रदर्शन केवल एक कानून व्यवस्था की चुनौती नहीं है, बल्कि अमेरिका में प्रवासी नीति को लेकर गहरे सामाजिक विभाजन को भी उजागर करता है। डेमोक्रेटिक पार्टी और कई मानवाधिकार संगठन ट्रम्प की नीति को “अमानवीय और असंवैधानिक” बता रहे हैं।
दूसरी ओर, ट्रम्प समर्थकों का कहना है कि ये सभी कदम अमेरिका की आंतरिक सुरक्षा और नौकरी के अवसरों की रक्षा के लिए जरूरी हैं।

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