आज के समय में फिट रहना सिर्फ जरूरत नहीं बल्कि एक ट्रेंड बन चुका है। चाहे युवा हों या वरिष्ठ नागरिक, हर कोई अपनी सेहत को लेकर सतर्क नजर आता है। यही कारण है कि जिम, योग, डाइट और फिटनेस जैसे शब्द अब आम हो गए हैं। लेकिन इन सबके बीच, कई ऐसे भ्रम या मिथक भी हैं जो लोगों को गुमराह करते हैं और सही परिणाम पाने से रोकते हैं।
फिटनेस की दुनिया में जब आप कदम रखते हैं तो अलग-अलग लोग अलग-अलग सलाह देने लगते हैं। इनमें से कुछ सलाह सही होती हैं, लेकिन कुछ ऐसी होती हैं जो अधूरी या पूरी तरह गलत जानकारी पर आधारित होती हैं। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि हम जानें कि कौन सी बातें सही हैं और कौन सी सिर्फ अफवाह हैं।
1. वेट ट्रेनिंग करने से महिलाएं मर्दों जैसी दिखने लगती हैं
यह सबसे बड़ा और आम भ्रम है जो जिम में महिलाओं को सुनने को मिलता है। उन्हें कहा जाता है कि अगर वो वजन उठाने वाली एक्सरसाइज करेंगी तो उनकी बॉडी भारी और मस्कुलर हो जाएगी।
हकीकत: महिलाओं का हार्मोन प्रोफाइल पुरुषों से अलग होता है, खासकर टेस्टोस्टेरोन लेवल बहुत कम होता है। इसलिए वे वेट ट्रेनिंग करने के बावजूद मर्दों जैसी नहीं दिखतीं। बल्कि इससे उनका शरीर टोन होता है, फैट कम होता है और मेटाबॉलिज्म बेहतर बनता है।
2. सिर्फ कार्डियो से ही वजन घटाया जा सकता है
कई लोग वजन घटाने की शुरुआत केवल दौड़ने या वॉकिंग से करते हैं, उन्हें लगता है कि ज्यादा चलने से फैट पिघल जाएगा।
हकीकत: कार्डियो एक्सरसाइज से कैलोरी जरूर बर्न होती है, लेकिन यह टिकाऊ हल नहीं है। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग मसल्स को एक्टिव करती है और इससे शरीर रेस्ट में भी कैलोरी खर्च करता है। जब तक आप मसल्स नहीं बनाते, आपका मेटाबॉलिज्म तेज नहीं होगा और वजन दोबारा बढ़ सकता है।
3. सिर्फ एब्स एक्सरसाइज से पेट की चर्बी घटाई जा सकती है
अक्सर लोग सोचते हैं कि अगर वो डेली सिटअप्स या क्रंचेस करें तो उनका पेट अंदर हो जाएगा और एब्स दिखने लगेंगे।
हकीकत: शरीर में फैट बर्निंग एक समग्र प्रक्रिया है। आप किसी एक हिस्से से सिर्फ एक्सरसाइज करके फैट नहीं घटा सकते, इसे spot reduction कहा जाता है और ये सिर्फ एक मिथ है। पेट की चर्बी कम करने के लिए आपको पूरी बॉडी की कैलोरी बर्न करनी होगी, जिसमें डाइट, कार्डियो और मसल ट्रेनिंग शामिल होनी चाहिए।
4. ज्यादा पसीना = ज्यादा फैट बर्न
बहुत से लोग पसीने को फैट बर्न का पैमाना मानते हैं। उन्हें लगता है कि अगर वर्कआउट करते हुए पसीना नहीं आ रहा तो असर नहीं हो रहा।
हकीकत: पसीना आना शरीर का तापमान नियंत्रित करने का तरीका है। यह इस बात का संकेत नहीं है कि आपकी बॉडी कैलोरी जला रही है। कभी-कभी गर्म मौसम या हाइड्रेशन की कमी के कारण भी पसीना आता है। सही मायनों में फैट बर्न का मूल्यांकन आपकी हार्ट रेट, एक्टिव मसल्स और कैलोरी डेफिसिट से किया जा सकता है।
5. फिट रहने के लिए दिन में घंटों वर्कआउट जरूरी है
कुछ लोगों को लगता है कि अगर वे एक घंटा से कम समय वर्कआउट करते हैं तो इसका कोई फायदा नहीं होगा।
हकीकत: क्वालिटी हमेशा क्वांटिटी से बेहतर होती है। 30 से 40 मिनट का intense और focused वर्कआउट पूरे दिन की गतिविधियों से ज्यादा असरदार हो सकता है। लंबा वर्कआउट न केवल समय की बर्बादी है बल्कि इससे ओवरट्रेनिंग और इंजरी का खतरा भी होता है।
6. वेट ट्रेनिंग सिर्फ बॉडी बिल्डर्स के लिए है
एक और आम धारणा यह है कि वेट ट्रेनिंग केवल उन्हीं लोगों को करनी चाहिए जो बॉडी बिल्डिंग करना चाहते हैं या मसल्स दिखाना चाहते हैं।
हकीकत: वेट ट्रेनिंग हर व्यक्ति के लिए फायदेमंद है – चाहे वो पुरुष हो या महिला, युवा हो या बुजुर्ग। इससे हड्डियों की मजबूती, जोड़ों का लचीलापन और शारीरिक संतुलन बेहतर होता है। साथ ही यह बुढ़ापे में गिरने जैसी घटनाओं से भी बचाता है।
जिम के मिथकों से सावधान रहें और जानकार बनें
फिटनेस एक विज्ञान है और इसे केवल सुनी-सुनाई बातों या किसी के कहने पर नहीं अपनाया जा सकता। हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है और उसी के अनुसार वर्कआउट प्लान और डाइट तय की जानी चाहिए।
अगर आप जिम जाने की सोच रहे हैं या पहले से जा रहे हैं, तो इन गलत धारणाओं से खुद को बचाएं। जरूरी हो तो किसी सर्टिफाइड ट्रेनर या फिटनेस एक्सपर्ट की मदद लें, ताकि आपकी मेहनत सही दिशा में जाए।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या या एक्सरसाइज प्लान के लिए डॉक्टर या एक्सपर्ट से परामर्श अवश्य लें।