भिवाड़ी, 13 जून 2025
राजस्थान के अलवर जिले के भिवाड़ी उपखंड स्थित सैदपुर गांव में गुरुवार रात दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। मात्र 12 वर्षीय कुलदीप नामक बालक अपनी बहन के साथ घर से चंद कदम की दूरी पर दुकान जा रहा था, तभी अचानक दो आवारा कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया। इस हमले में कुलदीप के दोनों पैरों में गंभीर चोटें आईं, जिनमें से बाएं पैर पर डॉक्टरों को 6 टांके लगाने पड़े।
यह हादसा रात करीब 8 बजे का है जब गांव की गलियों में अंधेरा पसर चुका था। बच्चे के चिल्लाने की आवाज सुनकर स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और किसी तरह कुत्तों को वहां से भगाया। इसके बाद घायल कुलदीप को तत्काल भिवाड़ी के जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया।
घर से महज 50 फीट की दूरी पर हुआ हमला
कुलदीप के चाचा ने बताया कि वह अपनी बहन के साथ घर से दुकान पर कुछ सामान लेने गया था। दोनों बच्चे मुश्किल से 50-60 फीट ही दूर पहुंचे थे कि गलियों में घूम रहे दो आवारा कुत्तों ने अचानक कुलदीप पर झपट्टा मारा। बच्चा जब तक कुछ समझ पाता, तब तक कुत्तों ने उसके दोनों पैरों को जकड़ लिया और काटना शुरू कर दिया।
स्थानीय लोगों के अनुसार, इस क्षेत्र में आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है और वे आए दिन बच्चों व बुजुर्गों को निशाना बना रहे हैं। कॉलोनी के कुछ लोग इन कुत्तों को खाना-पानी देते हैं, जिससे ये इलाके में ही बने रहते हैं और आक्रामक हो जाते हैं।
भिवाड़ी जिला अस्पताल में चला इलाज, डॉक्टरों ने जताई चिंता
जिला अस्पताल प्रभारी डॉ. सागर अरोड़ा ने जानकारी दी कि गुरुवार रात 8:30 बजे के आसपास कुलदीप को अस्पताल लाया गया था। बच्चे की हालत गंभीर थी। बाएं पैर में घुटने के पास 6 टांके लगाए गए जबकि दूसरे पैर में भी गहरे घाव थे। डॉक्टरों ने बच्चे को तुरंत एंटी-रैबीज इंजेक्शन दिए और घावों को साफ कर प्राथमिक उपचार किया। रात करीब 10 बजे बच्चे को छुट्टी दी गई, लेकिन अगले दिन दोबारा फॉलोअप चेकअप के लिए बुलाया गया।
डॉ. अरोड़ा ने यह भी बताया कि भिवाड़ी जिला अस्पताल में प्रतिदिन 50 से 60 डॉग बाइट (कुत्ते के काटने) के मामले आ रहे हैं। यह संख्या प्रतिमाह 1500 से भी अधिक हो जाती है। इनमें से कई मामलों में बच्चों और बुजुर्गों को कुत्तों ने निशाना बनाया है। गंभीर रूप से घायल मरीजों को अलवर जिला अस्पताल रेफर करना पड़ता है।
स्थानीय निवासियों में रोष, प्रशासन से की तत्काल कार्रवाई की मांग
घटना के बाद इलाके में दहशत का माहौल है। सैदपुर गांव और आसपास की कॉलोनियों में रह रहे लोगों ने नगरपालिका और प्रशासन से आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या पर तत्काल नियंत्रण करने की मांग की है। लोगों का कहना है कि बच्चों का स्कूल जाना, गलियों में खेलना या दुकान तक जाना तक मुश्किल हो गया है।
गांव के एक निवासी रवि शर्मा का कहना है, “हमने पहले भी कई बार शिकायतें दी हैं कि आवारा कुत्तों को पकड़वाया जाए लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अब बच्चों की जान पर बन आई है।”
कुत्तों को खाना खिलाना बन रहा है बड़ा कारण
कई स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि कॉलोनी में कुछ लोग नियमित रूप से इन कुत्तों को खाना-पानी देते हैं, जिससे ये कुत्ते एक जगह जम जाते हैं। हालांकि दया दिखाना मानवीय पहलू है, लेकिन इससे दूसरे लोगों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है। प्रशासन को इस समस्या को संतुलित दृष्टिकोण से हल करने की जरूरत है ताकि ना तो पशु अधिकारों का उल्लंघन हो और ना ही मानव जीवन खतरे में पड़े।
प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल
इस घटना के बाद यह सवाल उठने लगा है कि आखिर क्यों प्रशासन द्वारा समय रहते आवारा कुत्तों की नसबंदी, पकड़ने और पुनर्वास की कार्रवाई नहीं की जाती। पशु पालन विभाग और नगर परिषद को मिलकर एक ठोस रणनीति तैयार करनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।
भिवाड़ी जैसी औद्योगिक नगरी में लगातार बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण के चलते आवारा पशुओं की समस्या विकराल होती जा रही है। यदि समय रहते कोई कदम नहीं उठाया गया, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।