भीलवाड़ा, राजस्थान
जिले के बागोर क्षेत्र में बुधवार देर शाम एक दर्दनाक हादसे ने दो परिवारों की खुशियों को मातम में बदल दिया। अवैध रूप से संचालित की जा रही फेल्सपार और क्वार्टज खदान में दो युवक गहराई में जा गिरे और सैकड़ों टन पत्थर-मिट्टी के नीचे दब गए। करीब 9 घंटे के लंबे और कठिन रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद गुरुवार सुबह दोनों के शव बाहर निकाले जा सके।
कैसे हुआ हादसा?
हादसा बुधवार शाम करीब 6 बजे हुआ जब पुरोहितों का खेड़ा गांव निवासी 25 वर्षीय उदयलाल भील और बाजिया खेड़ा निवासी 26 वर्षीय राजकुमार जाट खदान में काम कर रहे थे। यह खदान दादिया गांव के समीप चारागाह भूमि पर स्थित है और अवैध रूप से लंबे समय से चल रही थी।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जैसे ही खुदाई चल रही थी, अचानक मिट्टी और भारी-भरकम पत्थरों का एक बड़ा हिस्सा ढह गया और दोनों युवक गहरी खदान में दब गए। वहां मौजूद अन्य मजदूरों ने उन्हें निकालने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे।
6 घंटे बाद पहुंची एसडीआरएफ की टीम, रातभर चला रेस्क्यू
हादसे की सूचना मिलते ही बागोर थाना पुलिस मौके पर पहुंची। बाद में अजमेर से राज्य आपदा राहत बल (SDRF) की टीम को बुलाया गया, जो हादसे के लगभग 6 घंटे बाद, रात 12 बजे मौके पर पहुंची। इसके बाद बचाव कार्य शुरू किया गया।
खदान की गहराई और भारी पत्थर-मिट्टी को हटाना आसान नहीं था। जिला प्रशासन की ओर से हाइड्रोलिक क्रेन और अन्य उपकरणों की सहायता ली गई, लेकिन गहराई के चलते ऑपरेशन में कठिनाई आई।
गुरुवार सुबह मिले शव
लगभग 9 घंटे तक चले इस अभियान के बाद गुरुवार सुबह करीब 6 बजे उदयलाल भील का शव निकाला गया। इसके लगभग तीन घंटे बाद, सुबह 9 बजे राजकुमार जाट की बॉडी भी बाहर निकाली जा सकी। दोनों शवों को भीलवाड़ा जिला अस्पताल की मोर्च्युरी में रखवाया गया है।
अवैध खनन पर उठे गंभीर सवाल
इस दर्दनाक घटना ने प्रशासन और विभागीय कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस खदान में हादसा हुआ, वह न सिर्फ अवैध थी, बल्कि चारागाह भूमि पर स्थित थी, जो सरकार की भूमि मानी जाती है।
स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस अवैध खनन की जानकारी पुलिस और माइनिंग विभाग को लंबे समय से थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब जब दो जानें चली गईं, तब विभागीय लापरवाही खुलकर सामने आई है।
प्रशासन का पक्ष
बागौर थाना प्रभारी भंवरलाल ने कहा कि जैसे ही सूचना मिली, पुलिस तत्काल मौके पर पहुंची और उच्चाधिकारियों को सूचित किया गया। हालांकि, खदान की गहराई और हालात की जटिलता के कारण, एसडीआरएफ टीम को पहुंचने और ऑपरेशन शुरू करने में समय लगा।
उन्होंने बताया कि मृतकों को बचाने के लिए सभी प्रयास किए गए, लेकिन वे बहुत गहराई में दब चुके थे। क्रेन और अन्य यंत्रों से खुदाई की गई, लेकिन सफलता सुबह जाकर ही मिली।
स्थानीयों में आक्रोश, कार्रवाई की मांग
घटना के बाद से गांव और आसपास के क्षेत्रों में गम और गुस्से का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि अवैध खनन से रोजाना खतरे बढ़ रहे हैं, लेकिन प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है।
परिवारों पर टूटा दुख का पहाड़
हादसे में मारे गए दोनों युवक अपने परिवार के कमाऊ सदस्य थे। उदयलाल भील और राजकुमार जाट दोनों ही गरीब परिवारों से आते थे और मजदूरी कर घर का गुजारा करते थे। दोनों की असमय मौत से परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
क्या आगे होगी कार्रवाई?
अब देखने वाली बात होगी कि प्रशासन और माइनिंग विभाग इस घटना से क्या सबक लेते हैं। क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी? क्या भविष्य में अवैध खनन पर रोक लगेगी? या फिर यह घटना भी फाइलों में दबी रह जाएगी?